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बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी
(हास्य एवं मनोरंजक कहानी)
लेखक:- #अमित_कुमार_झा
इस कहानी के किरदार…..
रजत:- एक आवारा लड़का
श्री किशोर वर्मा:- रजत के पिता
शीला देवी:- श्री किशोर वर्मा की महबूबा
कविता:- शीला देवी की बेटी
अरूण:- रजत का दोस्त
संदीप:- रजत का दोस्त
शांति देवी:- रजत की माँ
अन्य:- स्टेशन की लड़की, दो हवलदार
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 01
(यह सीन है एक पार्क का, जहाँ एक बेंच पर एक बयालिस साल की खूबसुरत महिला शीला देवी बैठी होती है, तभी वहाँ पर एक पैतालिस वर्ष का बुढ़ा श्री किशोर वर्मा आते है और शिला देवी को “हाय शीला जी” बोलते हूए उनके पास बैठ जाते है। शीला देवी किशोर वर्मा को देख कर अपना मुँह घुमा लेती है। तब किशोर वर्मा शिला देवी से बोलती है।)
किशोर वर्मा:- आप नाराज है मुझसे शीला जी!!
(शीला देवी कुछ नहीं बोलती है। वह अपना मुँह दुसरी तरफ घुमाएं बैठी होती है। यह देख कर किशोर वर्मा शीला देवी का बायाँ हाथ पकड़ लेते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- शीला जी आप मुझसे ऐसे नाराज ना रहा कीजिये। आप मुझसे नाराज रहती है तो ऐसा लगता है मेरी दुनिया मुझसे रूठ गयी हो। मेरी ज़िन्दगी, मेरी हँसी, मेरा चैन-सुकुन सब कुछ कही खो गया हो। देखिये न मौसम कितना सुहाना है। आईये सारे गीले-शिकवे भूल कर प्यार करते है। एक-दुसरे के आँखों में खो जाते है। यहाँ हमें-कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।
शीला देवी(किशोर वर्मा की ओर घुम कर प्यार से इतराते हूए):- झूठ, सब झूठ,,,, अगर ऐसा होता तो आप कल मुझसे मिलने जरूर आते। (किशोर वर्मा के कांधे पर अपना सर रख कर और उनके दिल पर अपना हाथ रखे हूए मासुमियत से) पता है आपको, मैंने कल यहाँ पर बैठे-बैठे चार घंटा आपका इंतजार किया, आप नहीं आये तो मैं उदास हो कर चली गयी। कल क्यों नहीं आये आप मुझसे मिलने??
किशोर वर्मा:- क्या कहूँ शीला जी? मैं भी बीवी-बच्चे वाला आदमी हूँ। कल मैं अपनी मोहतरमा के साथ था, इसिलिये मैं चाह कर भी आपसे मिलने नहीं आ सका। बेचैन तो मैं भी था शीला जी आपसे मिलने के लिए, लेकिन क्या करे??
शीला देवी (किशोर वर्मा के कांधे से अपना सर हटाते हूए):- अगर आपको इतना ही प्यार है अपनी बीवी से तो यहाँ क्या कर रहे है आप? जाईये अपनी मोहतरमा के पास!!!
किशोर वर्मा:- ओह शीला जी, आप भी न,, बात-बात पर नाराज हो जाती है,,, क्या पुरानी बातें ले कर बैठ गयी आप? कल की बातें भूल जाईये, आज जो है उसको देखिये न!!
शीला देवी:- आप तो इसी तरह हर बार मुझे बरगला देते है और मैं भावनाओं में बह जाती हूँ।
किशोर वर्मा:- छोड़िए शीला जी इन बातों को, प्यार का मौसम है, आईये न प्यार करते है, एक-दूजे से नैना चार करते है।
(और यह बोलते हूए किशोर वर्मा शीला देवी को अपने ओर खिचते है)
शीला देवी:- मैं तो कब से बेताब हूँ आपका आगोश पाने के लिए, आपकी बाहों में समाने के लिए, आपका प्यार पाने के लिए। आज मुझे कली से फूल बना दिजीये। मैं कब से इसी दिन के इंतजार में थी। आईये, और समा लिजिये मुझे खुद में।।
(यह बोलकर शीला देवी किशोर वर्मा के गले लग जाती है। किशोर वर्मा भी उसे बाहों में भर कर कस के पकड़ लेते है। उसी पार्क में दूर किशोर वर्मा का बीस साल का बेटा रजत खड़ा होकर यह सब देख रहा होता है और मोबाइल में सब कुछ रिकॉर्ड कर रहा होता है। सब कुछ रिकॉर्ड हो जाने के बाद रजत खुद से बोलता है।)
रजत:- ओ येस, अब आयेगा मजा। अब बापू को चखाता हूँ मजा। इस उम्र में इश्क लड़ा रहे है।
(और यह बोलकर वह अपने घर जाने के लिए आगे बढ़ता है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 02
(यह सीन है रजत के घर का, रजत दरवाजे पर खड़ा अपने फोन में कुछ देख रहा होता है और मुस्कुरा रहा होता है। तभी रजत के पिताजी श्री किशोर वर्मा वहाँ “हाँ मुझे प्यार हुआ प्यार हुआ अल्लाह मियाँ” गुनगुनाते हूए पहूँचते है। रजत अपने पिता को देख कर थोड़ा आगे बढ़ता है और बोलता है।)
रजत:- हाय डैड, आज बहुत खुश नज़र आ रहे है आप। क्या बात है??
किशोर वर्मा:- कुछ नहीं बेटा, दोस्तों से मिलकर आ रहा हूँ न!!!
रजत:- दोस्तों से या किसी और से!!!
किशोर वर्मा:- और किससे मिलूँगा!!!
रजत:- आप बहुत भोले बनते है डैड। रुकिये मैं आपको कुछ दिखाता हूँ।
(और बोलकर रजत अपने फोन में पार्क वाला वीडियो निकाल कर अपने पिताजी दिखाता है। वीडियो देखने के बाद उसके पिताजी की हालत खराब हो जाती है। उनके माथे से पसीना चुने लगता है, उनकी आँखें लाल हो जाती है। उसके बाद रजत फोन अपने जेब में रख लेता है और अपने पिताजी को रुमाल देते हूए बोलता है।)
रजत:- ये लिजिये पिता जी, पसीना पोछ लिजिये।
(किशोर वर्मा के चेहरे का रंगत उतर गया होता है। वह रुमाल लेते हुए अपने बेटे से बोलता है।)
किशोर वर्मा:- किसी को दिखाया तो नहीं ये विडियो??
रजत:- अभी तक तो नहीं दिखाया।
किशोर वर्मा:- थैंक गॉड, बच गया। ला अपना मोबाइल दे इसको डिलीट कर देता हूँ, नहीं तो गड़बड़ हो जायेगी!!!
रजत:- नो डैड, पहले आपको मेरा एक कहा मानना होगा। अगर आपने मेरा कहा नहीं माना तो सबसे पहले यह विडियो मैं माँ को दिखाऊँगा और उसके बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दूँगा। दुनिया वालों को जब आपकी असलियत पता चलेगी तो लोग थूकेंगे आप पर। अपनी इज्जत और जान बचाने का एक ही रास्ता है आपके पास।
किशोर वर्मा:- क्या??
रजत:- मेरा एक छोटा सा काम करना होगा आपको!!
किशोर वर्मा:- कैसा काम??
रजत:- जिस शीला आंटी के साथ आप पार्क में गुलछरे उड़ा रहे थे, उसकी बेटी कविता से मेरी सेटिंग करानी होगी।
किशोर वर्मा:- ये कैसे हो सकता है?? ये नहीं हो सकता!!!
रजत:- क्यो नहीं हो सकता है? अगर ये नहीं हो सकता तो आप बेनकाब हो जायेंगे।
किशोर वर्मा:- सुन बेटा, तू मेरा अच्छा बेटा है न???
रजत:- हाँ,,,
किशोर वर्मा:- तो फिर यह विडियो डिलीट कर दो!!!
रजत:- आप मुझे बेवकूफ समझते है। पहले आप मेरा काम कीजिये उसके बाद ये विडियो डिलीट करूँगा।
किशोर वर्मा:- तुम समझते क्यो नहीं,, एक बाप अपने बेटे की सेटिंग कैसे करा सकता है??
रजत:- क्यों नही करा सकता?? खुद कर सकते हो और बेटे की नहीं करा सकते हो!! अगर ये नहीं हुआ तो मैं आपका भांडा फोड़ दूँगा!!!
किशोर वर्मा:- बेटा समझने की कोशिश करो, मैं कैसे जा कर बोलूँगा उसकी बेटी को? और क्या बोलूँगा??
रजत:- कैसे भी बोलिये, कुछ भी बोलिये लेकिन मेरी भी सेटिंग कराईये। (रोने का नाटक करते हुए) शादी की बीस साल बाल भी आप दुसरों के बीवी के साथ अफेयर चला रहे है और आपका जवान बेटा सिंगल है, आपको उसकी कोई फिकर नहीं।।
किशोर वर्मा (रजत को गले लगाते हूए):- रो मत बेटा, चुप हो जा बेटा।।
रजत:- रोऊँ नहीं तो और क्या करूँ??
किशोर वर्मा(अपने मन में सोचते हूए):- बहुत बुरा फँसा, दूसरा कोई उपाय नहीं है। अगर इसका सेटिंग नहीं कराया तो ये सच में मेरा भांडा फोड़ देगा। भांडा फुटने से बेहतर है कि इसका भी सेटिंग करा ही दिया जाये। (उसके बाद वह रजत से बोलते है):- चुप हो जा बेटा,, मैं तुम्हारी सेटिंग कराऊँगा। और कविता से ही कराऊँगा। बस ये विडियो लीक नहीं होनी चाहिए।।
रजत (अपना आँशु पोछते हूए):- नहीं होगा,,, आई लव यू डैडी!!
किशोर वर्मा:- लव यू बेटा,,, चुप हो जा अब। अच्छे बच्चे रोया नहीं करते।।
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 03
(यह सीन है कविता के घर के बाहर का। रजत के पिताजी श्री किशोर वर्मा कविता के घर के बाहर खड़ा होकर डोरबेल बजाते है। अगले ही पल कविता दरवाजा खोलती है। सामने किशोर वर्मा को देख कर बोलती है।)
कविता(हाथ जोड़ कर):- नमस्ते अंकल!!
किशोर वर्मा:- खुश रहो बेटी,, कैसी हो तुम??
कविता:- जी मैं ठीक हूँ, आप कहिये, कैसे आना हुआ यहाँ??
किशोर वर्मा(घबराते और डरते हूए):- वो रजत,,,
(यह बोलकर वो चुप हो जाते है।)
कविता:- क्या रजत??
किशोर वर्मा:- वो रजत ने मुझे यहाँ भेजा है तुम्हारे पास।
कविता:- क्यो??
किशोर वर्मा(अपनी बात बदलते हूए):- वो आज मेरे यहाँ अखबार नहीं दिया है तो रजत ने बोला है यहाँ से ले लिजिये। आज का अखबार मिलेगा??
कविता:- क्यो नहीं, रुकिये मैं लेकर आती हूँ।
(उसके बाद कविता अंदर जाती है और अगले ही पल अखबार लेकर आती है और किशोर वर्मा को देते हूए बोलती है।)
कविता:- ये लिजिये अंकल।
(किशोर वर्मा अखबार लेते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- थैंक यू बेटा।
(और यह बोलकर किशोर वर्मा वहाँ से जाने लगते है। कविता फिर से अपना दरवाजा बंद कर लेती है। जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़ते है उन्हें कविता की माँ शीला देवी आती दिखाई देती है। वह थोड़ा आगे बढ़ कर शिला जी के पास जाते है। शिला जी भी उनके नजदिक आती है। दोनों एक-दुसरे को प्यार भरी निगाहों से देखने लगते है। बैकग्राउंड में म्यूजिक चलने लगता है। फिर कुछ देर बाद शीला जी अपना चुप्पी तोड़ते हूए किशोर वर्मा से बोलती है।)
शिला देवी:- यह सपना है या हकीकत??
किशोर वर्मा:- यकीं तो मुझे भी नहीं हो रहा है, बट यह हकीकत ही है शीला जी।
शीला जी:- मेरे तो किस्मत ही खुल गए जो आपके चरण मेरे घर के दरवाजे तक पहूँचे, मैं तो धन्य हो गयी।
किशोर वर्मा:- धन्य तो मैं हो गया, आज सुबह-सुबह जो आपके दर्शन हो गए। आप इस पीली साड़ी में बहुत जँच रही हो।
शीला देवी:- आज आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे है। हाय रब्बा, नज़र न लगे किसी की।
किशोर वर्मा:- मुझे आपके रहते हूए किसी की नज़र नहीं लग सकती शीला जी। आप बस ऐसे ही मुझ पर अपने प्यार की खुशबू लूटाती रहिये।
शीला देवी:- मैं तो आप पर अपना तन-मन-धन सब कुछ लूटाने के लिए तैयार हूँ।
किशोर वर्मा:- हाय रब्बा, मैं मर न जाऊँ।
शीला देवी(किशोर वर्मा के मुँह पर अपना हाथ रखते हूए):- मरे आपके दुश्मन, आपको तो मेरी भी उम्र लग जाये। फिर दुबारा ऐसी बातें न कीजियेगा।
किशोर वर्मा:- मुझे आपकी उम्र नहीं आपका साथ चाहिए।
शीला देवी:- मैं तो जीवन के हरेक मोड़ आपके साथ हूँ। कभी भी मेरे इश्क पर शक हो तो बेशक मुझे आजमा लिजियेगा। मैं हर परीक्षा में खड़ी उतरूँगी।
किशोर वर्मा:- शक और वो भी आप पर,, नहीं शीला जी ऐसा कभी नहीं हो सकता। मुझे तो आप पर अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा है। काफी देर हो गयी, अब मैं चलता हूँ।
शीला देवी:- समन्दर खूद प्यासे के घर आये और बिना किसी की प्यास बुझाए ही चले जाये, ये कैसे हो सकता है??
किशोर वर्मा:- ज़िन्दगी में कुछ ऐसे भी काम होते है जो लोगों को न चाहते हूए भी करना पड़ता है शीला जी। मेरी भी कुछ मजबुरी समझिये। मेरी बीवी मेरा इंतजार कर रही होगी।
शिला देवी:- क्या किशोर जी आप भी रसमलाई छोड़ कर दहीबाड़ा के पिछे पड़े है??
किशोर वर्मा:- जरूरत से ज्यादा रसमलाई खाने पर भी तबीयत बिगड़ जाता है शीला जी। मैं फिर आऊँगा, फिलहाल मैं चलता हूँ।
(और यह बोलकर किशोर वर्मा वहाँ से निकल जाते है। उसके जाने के बाद शीला जी खुद से बोलती है।)
शीला देवी:- काश कि कभी आप भी मेरी फीलिंग्स को समझ पाते किशोर जी!!!
(और यह बोलकर शिला देवी अपने घर में चली जाती है)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 04
(यह सीन है रजत के घर का। किशोर वर्मा हाथ में अखबार लिए आते है और चुप-चाप नज़रें झुकाये घर के अंदर जाने लगते है। तभी उसका बेटा रजत जो पास में खड़ा होता है, अपने पिता से बोलता है।)
रजत:- हेल्लो डैड!!! क्या हुआ? आप नज़रें झुकायें कहाँ जा रहे हैं??
किशोर वर्मा(रूक कर):- कुछ नहीं बेटा!!!
रजत(किशोर वर्मा के पास आते हूए):- पता चला है कि आज आप कविता के घर गए थे। मेरी कुछ बात बनी??
किशोर वर्मा:- अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ बेटा? यह मुझसे नहीं होगा। मैं यह काम नहीं कर सकता….!!!!!
रजत:- करना तो होगा!!!
किशोर वर्मा:- नो, नेवर!!
रजत:- शायद आप भूल रहे है कि मैं दुनिया की नज़रों में आपको बेनकाब कर सकता हूँ, आपका पर्दाफास कर सकता हूँ। जरा सोचिए अगर मैं आपका यह विडियो वायरल कर दूँ तो समाज में क्या इज्ज़त रह जायेगी आपकी? आप किसी को भी मुँह दिखाने के लायक नहीं रहोगे!!! वर्षों से आपने जो अपनी एक ईमेज खड़ी की है एक ही झटके में सब खत्म हो जायेगा…!!!! यह विडियो देखते ही माँ खुद फाँसी लगा कर अपना जान दे देगी और आप और आपकी शिला को जेल हो जायेगी। फिर चलाते रहना ज़िन्दगी भर चक्की जेल में अपने शीला जी के साथ। वहाँ चार हवलदार हमेशा आपके निगरानी में रहेंगे। एक मिनट के लिए भी हाथ रुका तो दोनों पर कोड़े बरसना शुरू और वहाँ खाने के लिए हर रोज जला हुआ रोटी और बासी सब्जी मिलेगी। खाते रहना रोज जेल में जला हुआ रोटी और बासी सब्जी और अपने शीला जी को भी खिलाना।। सोचना आपको है, आपको क्या चाहिए? घर या जेल!! इज्ज़त या बदनामी!!! चलता हूँ मैं,, जो करना है जल्दी कीजिये!!!
(यह सुनकर किशोर वर्मा थोड़ा डर जाते है और अंदर से पुरी तरह घबरा जाते है। उसके बाद रजत वहाँ से बाहर चला जाता है और किशोर वर्मा डरते हूए घर में प्रवेश करते है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 05
(यह सीन है एक रेलवे स्टेशन का, जहाँ रजत प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के बैठने के लिए बने बेंच पर बैठा होता है और वहाँ से आते-जाते सभी लड़कियों को छेड़ रहा होता है। वह बेंच पर बैठा होता है तभी एक लड़की फोन से बात करती हुई उसके पास से गुजरती है, वह फोन पर बात कर रही होती है।)
लड़की:- मैं कॉलेज जा रही हूँ। वहाँ से निकलने के बाद आपको कॉल करूँगी।
रजत:- ओ मैडम, पढ़ाई-लिखाई में क्या रखा है। मेरे पास थियेटर के दो टिकेट है, चलो मूवी चलते है!!
लड़की(रजत की ओर घुम कर):- तेरे घर में माँ-बहन नहीं है क्या? उसको लेकर जा न!!!
(और यह बोलकर वह लड़की वहाँ से चली जाती है। फिर कुछ देर बाद एक दूसरी लड़की वहाँ से गुजरती है, वह चुप-चाप वहाँ से जा रही होती है तभी रजत उससे बोलता है।)
रजत:- ओ हेल्लो, एक्सक्यूज मी,,,,
(वह लड़की वहाँ रूक कर रजत से बोलती है।)
दूसरी लड़की:- हाँ बोलो,,,,
रजत:- यू आर वेरी ब्यूटीफुल,,,,
लड़की:- ओ रियली, थैंक यू,,,
रजत:- आई लव यू,,,
लड़की(गुस्से में):- चप्पल से मारूँगी, बड़े आये आई लव यू बोलने वाले।। (वह लड़की वहाँ से बड़बड़ाती हुई चली जाती है):- जान न पहचान और सिधे आई लव यू।
(कुछ देर बाद फिर एक लड़की वहाँ से गुजरती है, उसे देख कर रजत बोलता है।)
रजत:- हेल्लो मोहतरमा, सुनो जरा।
तिसरी लड़की(रजत की ओर घुम कर):- हाँ बोलो..!!
रजत:- कहाँ से तुम??
लड़की:- मैं राजस्थान से हूँ।
रजत:- यार मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। तुम बन जाओ यार प्लीज!
लड़की:- सकल देखा है अपना आईने में, भिंडी सी सकल ले के इस दुनिया में बोझ बन कर आये इंसान के नाम पर कलंक, तुमसे तो मेरी कुतिया भी प्यार ना करे। जाहिल,, गँवार.. बड़े आये गर्लफ्रेंड बनाने वाले!!
(और यह बोलकर वह लड़की वहाँ से चली जाती है, तभी रजत का दोस्त अरूण और संदीप वहाँ आता है, वहाँ पर बैठते हूए रजत से बोलता है)
अरूण:- क्यो बे साले यहाँ क्या कर रहा है अकेले-अकेले??
रजत:- कुछ नहीं अपना हुनर आजमा रहा हूँ।।
संदीप:- मतलब??
रजत:- मतलब की गर्लफ्रेंड पटा रहा हूँ।
अरूण:- तुम सालों अखंड सिंगल लोगों की यही प्रोब्लम होती है, लड़की देखी नहीं कि शुरू हो गए!!
रजत:- गर्लफ्रेंड मिले न मिले, अपना काम है कोशिश करना। कोशिश करते रहना चाहिए। क्या पता कब किस्मत का दरवाजा खुल जाये!!
संदीप:- और तेरे कविता का क्या हुआ??
रजत:- कोई भाव नहीं दे रही है यार।
अरूण:- कैसे कोई भाव देगी, कद्दू के जैसा तो तेरा सकल है और उपर से तू काला भी है।
संदीप:- तेरे में कोई बात ही नहीं है फिर कैसे पटेगी तुझसे लड़की।
अरूण:- एक काम कर, ये सब झमेल छोड़ और जाकर गुल्ली-डंडा खेल, तेरे लिए वही ठीक है..!!
संदीप:- बाकी तुझसे कुछ नहीं होने वाला।।
रजत:- हँस लो सालों, जिस दिन मेरी गर्लफ्रेंड बन गयी न उस दिन बताऊँगा तुम लोगों को।
अरूण:- सपने देखना छोड़ दे बेटा, वो तेरे बस की बात नहीं है।
रजत:- तुम देख लेना, एक दिन मेरी भी गर्लफ्रेंड बनेगी..!!
संदीप:- नाईस जोक।
(यह बोल कर संदीप और रजत हँसने लगते है।)
अरूण:- ये सब छोड़, चल आज तुझे देशी दारू पिलाता हूँ।
रजत:- कहाँ??
अरूण:- मेरे घर।
रजत:- तुम्हारे मम्मी-डैडी??
अरूण:- कोई नहीं घर पर, मैं अकेला हूँ!!
रजत:- चलो फिर।
(उसके बाद तिनों उठ कर वहाँ से चले जाते है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 06
(यह सीन है जेल का, जेल के अंदर किशोर वर्मा और शीला देवी बैठे कर चक्की चला रहे होते है और बाहर दो हवलदार हाथ में कोड़ा लिए खड़े होते है। चक्की चलाते-चलाते ही किशोर वर्मा शीला देवी से बोलते है।)
किशोर वर्मा:- ये बुढ़ापे का प्यार बड़ा ही घातक साबित हुआ हमारे लिए शिला जी।
शीला देवी:- मैंने तो पहले ही आपको बोला था कि इसका अंजाम बहुत ही भयावह होने वाला है। लेकिन आपने माना ही नहीं। खैर इश्क करने वाले अंजाम से नहीं डरा करते है किशोर जी।
किशोर वर्मा:- यह बात तो आपने सही कहा शिला जी!!
शीला देवी:- लेकिन आपका यह दुख मुझसे नहीं देखा जाता किशोर जी।
किशोर वर्मा:- मुझसे भी आपका मुरझा हुआ चेहरा नहीं देखा जाता।
शीला देवी:- ओह कितनी गर्मी है? यहाँ तो ए.सी. भी नहीं है।
(यह सुनकर किशोर वर्मा शीला जी पास जाते है और अपना शर्ट खोलकर सिला जी के मुँह के पास ले जाकर जोर से घुमाने लगते है ताकी शिला को गर्मी ना लगे। उसके बाद हवलदारों की नज़र उन पर पड़ती है। दोनों हवलदार अंदर जाते है और उन दोनों पर कोड़ा बरसाने लगते है। कोड़ा का मार खाते किशोर वर्मा अपने जगह से उठ बैठते है। तब उन्हें पता चलता है कि वह सपना देख रहे थे। उनका चेहरा लाल हो जाता है और डर से उनका शरीर पसीना-पसीना हो जाता है। फिर वह रिलैक्स होते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- यह बुढ़ापे का इश्क न जाने क्या-क्या दिन दिखायेगी? कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो रोज ऐसे ही डर-डर कर जीना होगा, घूंट-घूंट कर मरना होगा!!!!
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 07
(यह सीन है रजत के घर का, रजत की माँ शांति देवी किचेन में खाना बना रही होती है। वह भिन्डी काट रही होती है, तभी किशोर वर्मा वहाँ पहूँचते है और पत्नी से बोलते है।)
किशोर वर्मा:- वाह आज भींडी बना रही हो, मेरा फेवरेट डिश।
शांति देवी:- यह भिंडी तुम्हारे लिए नहीं मेरे बेटे के लिए है। तुम्हारे लिए करेला बनाया है।
किशोर वर्मा:- तुम जानती हो न मैं करेला नहीं खाता, फिर भी तुम!!
शांति देवी:- आज चुप-चाप खा लेना, तुम जानते हो न मुझे ज्यादा नौटंकी पसंद नहीं।
किशोर वर्मा:- ठीक है बाबा खा लूँगा। तुम्हारे हाथ का तो मैं जहर भी खा लूँ और ये करेला क्या चीज है??
शांति देवी:- बस-बस, अब चस्का लगाने की जरूरत नहीं है। हो गया अब।
किशोर वर्मा(इधर-उधर नजर दौड़ाते हूए):- वैसे ये आपका लाडला है कहाँ?? कही दिखाई नहीं दे रहा है!!!
शांति देवी:- मेरा बेटा तुम्हारी तरह आवारा नहीं है, वो पढ़ाई कर रहा है छत पर बैठ कर।
किशोर वर्मा:- अच्छा, तुम्हारा बेटा पढ़ाई कर रहा है आज??
शांति:- वो तो रोज ही पढ़ता है, इसमें नयी बात कौन सी है!!
किशोर वर्मा:- ठीक है तुम खाना बनाओ, मैं जरा अपने बेटे से मिलकर आता हूँ।
(यह बोलकर किशोर वर्मा बाहर की ओर जाने लगते है।)
शांति देवी:- आज बड़ा प्यार आ रहा है अपने बेटे पर।
किशोर वर्मा(रूक कर):- मुझे तो हमेशा प्यार आता है अपने बेटे पर, पर यह तुम दोनों को दिखाई नहीं देता!!
शांति देवी:- हाँ बस-बस सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है। जाओ मिल लो, लेकिन याद रहे मेरे बेटे से अदब से पेश आना और उसे डांटना तो बिल्कुल भी नहीं।
किशोर वर्मा:- मेरी मौत लिखी है जो मैं उसको डांटूँगा।
(और यह बोलकर किशोर वर्मा सीढ़ियों से छत पर पहूँच जाते है और देखते है कि रजत एक कुरसी पर बैठा किताब अपनी गोद में रखे अपने मोबाइल में सनी लियोन का विडियो देख रहा होता है। उसके पिताजी पिछे खड़े हो कर यह देख रहे होते है, तभी पिताजी के जेब में पड़ी उनके फोन की घंटी बजती है। फोन की घंटी सुनते ही रजत अपना फोन बंद कर घबरा कर खड़े होते हूए पिछे देखता है तो वह पाता है कि वहाँ पिताजी खड़े होते है। रजत के पिताजी जल्दी हड़बराते हूए अपने जेब से फोन निकालते है और देखते है तो पाते है शीला देवी का कॉल होता है। वह फोन काट कर अपने जेब में रख लेते है। तभी रजत बोलता है।)
रजत:- डैड, आप कब आये??
किशोर वर्मा:- जब तुम पढ़ाई के नाम पर फोन में ये गंदी चीजे देख रहे थे तब। वाह बेटा बहुत अच्छा जा रहे हो!!
रजत:- तो फिर क्या करूँ डैड, आप बुढ़ापे में चार-चार आंटियों से अफेयर चला रहे हो और मैं जवान हो कर भी सिंगल हूँ। कोई लड़की मुझे घास नहीं डालती। आपको बस अपनी फिकर है, अपने बेटे की कोई फिकर ही नहीं है आपको।
(और फिर वह रोने का नाटक करता है।)
किशोर वर्मा:- फिकर है बेटा, तभी तो तेरे पास आया हूँ। रो मत बेटा, तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है।
रजत:- क्या खुशखबरी है? कविता मान गयी क्या??
किशोर वर्मा:- हाँ बेटे, मैंने सब सेटिंग कर दिया है। कल सुबह के ग्यारह बजे कॉलेज में तुम कविता को प्रपोज कर देना। उसकी ओर से हाँ है।
रजत:- ये तो बहुत अच्छी खबर है। आज तो पार्टी होनी चाहिए डैड!!
किशोर वर्मा:- जरूर, आज पार्टी जरूर होगी। मैंने सब अैरेंज कर लिया है। तुम बस माँ के सोने के बाद उपर आ जाना।
रजत:- ओके डैड।
(फिर रजत अपने पिता जी को गले लगाकर बोलता है।):- आई लव यू डैड। यू आर ग्रेट डैड!! मैं पहूँच जाऊँगा डैड। ओके बाय!! मैं दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जा रहा हूँ
(और यह बोलकर रजत वहाँ से मुस्कुराते हुए चला जाता है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 08
(यह सीन है रजत के घर का, रात के दस बज चुके है। रजत और उसके पिताजी दोनों छत पर बैठे मजे कर रहे है। एक शराब की बोतल और दो ग्लास वहाँ रखा हुआ है। रजत शराब का पेग बनाता है और दोनों चेस करके शराब पीते है। रजत एक ही बार में पुरा ग्लास खत्म करता है। रजत के पिताजी धीरे-धीरे पी रहे होते है। पुरी ग्लास खत्म करने के बाद रजत थोड़ा सा चखना उठा कर खाता है और बोलता है।)
रजत(नशे में):- आज से, अभी से, इसी वक्त से आप मेरे पिता नहीं है, आज से हम दोनों मित्र है, मित्र। आज आपने वो कर दिखाया है जो दुनिया का कोई भी पिता नहीं करता। आज से मेरी नज़रों में आपकी इज्ज़त और बढ़ गयी। लव यू डैड!!
किशोर वर्मा(नशे में):- मैं शायद दुनिया का पहला पिता होऊँगा जिसने अपने बेटे का सेटिंग कराया हो।
रजत:- यही तो प्यार है डैडी, बाप-बेटे का प्यार, एक मित्र का दूसरे मित्र के प्रति प्यार। आज आपने साबित कर दिया कि आप दुनिया के सबसे अच्छे बाप है।।
(उसके पिताजी का भी ग्लास अब खाली हो चुका होता है। रजत दुसरा पेग बनाता है और दोनों पीते है। दो-चार घूंट पीने के बाद किशोर वर्मा बोलते है।)
किशोर वर्मा:- कल तेरे लिए भी जन्नत का दरवाजा खुलने वाला है। कल के बाद तेरे सर से भी हमेशा-हमेशा के लिए सिंगल का दाग मिट जायेगा।
रजत:- सब आपकी मेहरबानी है डैडी!!
किशोर वर्मा:- लेकिन मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा बेटा इतना बड़ा कमीना निकलेगा। तु इतना हरामी निकलेगा, अपने बाप को ही ब्लैकमेल करेगा और अपने बाप से ही अपनी सेटिंग करवायेगा।
रजत(शराब खत्म करते हूए):- आखिर बेटा किसका हूँ?? बाप नम्बरी तो बेटा दस नम्बरी तो होगा ही।। खैर छोड़ो ये बातें, रात बहुत हो गयी है, चलो अब सो जाते है। वरना माँ को पता चला न तो इसी रात को हम दोनों के रस्ते लग जायेंगे। आप तो बदनाम है ही, आपके साथ-साथ मैं भी बदनाम हो जाऊँगा।
किशोर वर्मा:- हाँ चलो अब।।
(यह बोलकर दोनों अपने जगह से उठते है और नशे में झुमते हूए सीढ़ियों से नीचे जाने लगते है। किशोर वर्मा गीत गा रहे होते है।)
किशोर वर्मा:- नशा शराब में होता तो नाचती बोतल।
(रजत उन्हें चुप कराता है।)
रजत:- चुप-चाप चलो, माँ जाग जायेगी।
किशोर वर्मा:- ओके,, ओके…..
(फिर दोनों चुप-चाप नीचे उतरते है। दोनों रजत के कमरे के दरवाजे तक पहूँचते है। फिर किशोर वर्मा रजत से बोलते है।)
किशोर वर्मा:- ठीक है बेटा, तुम्हारा कमरा आ गया। तुम जाओ सो जाओ।
रजत:- ओके डैड, गुड नाईट!!
(यह बोलकर रजत अपने कमरे में चला जाता है। किशोर वर्मा भी गुड नाईट बोलते हूए अपने कमरे की ओर बढ़ते है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 09
(यह सीन है एक कॉलेज का, जहाँ बहुत सारे विद्यार्थियों की भीड़ लगी है। कुछ विद्यार्थी कॉलेज के ग्राउंड में बैठे हूए है और कुछ विद्यार्थी अपने क्लास में बैठे हूए है। कविता भी वही एक पेड़ के नीचे छाँव में बैठी हुई किताब पढ़ रही है। तभी किशोर वर्मा वहाँ पहूँचते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- हैल्लो, कविता बेटी।
कविता(किताब बंद कर खड़े होते हूए):- किशोर अंकल आप?? नमस्ते!!!
किशोर वर्मा:- खुश रहो बेटी।
कविता:- अंकल आप कॉलेज में??
किशोर वर्मा:- हाँ बेटी, दरअसल मैं तुम से ही मिलने आया हूँ।
कविता:- मुझसे?? ऐसी क्या आन पड़ी जो आप मुझसे मिलने यहाँ आ गए!!!
किशोर वर्मा:- बात ही कुछ ऐसी थी!!
कविता:- क्या? मुझे भी बताईये!!!
किशोर वर्मा(रोने का नाटक करते हुए):- कविता बेटी, मेरा बेटा अपने दोस्तों के साथ लड़कियों को छेड़ता है, आवारागर्दी करता है, दारू-सीगरेट पीता है। पता नहीं पिछले जन्म में कौन से बुरे कर्म किये थे जो इस जन्म में ये सब देखने को मिल रहा है। वह लड़कियों के साथ प्यार का नाटक करता है और उसे इस्तेमाल कर छोड़ देता है। कल मैंने उसे फोन पर उसके दोस्तों से बात करते सुना कि आज वह तुम्हें प्रपोज करने वाला है। वह तुम्हें भी इस्तेमाल कर छोड़ देगा। मेरा तुमसे बस इतना ही कहना है कि तुम उसकी बहकावे में मत आना। वह अगर तुम्हें प्रपोज करने आये तो जोर से खिच के उसके गाल में दो चमाट लगाना ताकी उसे भी पता चल सके कि औरत क्या चीज होती है।।
कविता:- आप बेफिक्र रहिये अंकल, मैं उसे अच्छे से सबक सिखा दूँगी। फिर वह मुझे तो क्या किसी को लड़की को प्रपोज करना तो दूर आजु-बाजु भटकेगा भी नहीं।
किशोर वर्मा:- ठीक है अब मैं चलता हूँ, अपना ख्याल रखना।
कविता:- हम्म्म्म्म,, नमस्ते,,,,
(और उसके बाद किशोर वर्मा वहाँ से निकल जाते है। थोड़ी ही दूर पर उसका बेटा रजत अकेले बैठा होता है। वह उसके पास पहूँचते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- अब देर न करो बेटा, वह कबसे तुम्हें गले लगाने के लिए बेचैन है, तड़प रही है बेचारी। उसे और न तड़पाओ बेटा। जल्दी जाओ और उसे अपने दिल का हाल बता दो।
रजत(हाथ में गुलाब का फूल लिए):- ओके डैड, अभी जाता हूँ मैं।
(और यह बोलकर रजत वहाँ से उठ कर कविता की ओर बढ़ता है और किशोर वर्मा वहाँ बैठ जाते है। कविता फिर से वही बैठ कर किताब पढ़ रही होती है। वह कविता के पास जाता है और गुलाब का फूल अपने पिछे छुपा कर कविता से बोलता है।)
रजत:- हाय कविता!!!
कविता(किताब बंद कर खड़ी होती हुई):- हाय रजत!!!
रजत:- कविता, कैसी हो तुम??
कविता(प्यार से इठलाते हूए):- मैं तो ठीक हूँ, तुम कैसे हो??
रजत:- मैं भी ठीक हूँ!!
कविता:- ओ रजत, आज तुम बहुत स्मार्ट दिख रहे हो।
रजत:- सच!
कविता:- मुच।
रजत:- थैंक यू कविता! कविता मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।
कविता:- क्या? जल्दी बोलो न!! मैं भी कबसे सुनने को बेताब हूँ।
रजत:- वो बात यह है कि…..
(और उसके बाद रजत चुप हो जाता है। फिर कविता बोलती है।)
कविता:- क्या बात है? बोलो न जल्दी!!!
रजत:-(कविता को गुलाब देते हूए):- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ कविता। आई लव यू कविता!!
(यह सुनते ही कविता उसके गाल में एक जोरदार थप्पर लगाती है और बोलती है।)
कविता:- मैं औरों की तरह नहीं हूँ जो तुम्हारी बातों में आकर पिघल जाऊँगी। मैं कविता हूँ, आज के जमाने की लड़की। मैं तुम जैसे हवस के दरिन्दों को अच्छी तरह से पहनाती हूँ जो भोली-भाली लड़कियों को अपना हवस का शिकार बनाते है और फिर मतलब निकल जाने पर छोड़ देते है। नारी को खिलौना समझने वाले तुम जैसे दो कौड़ी के लोगों के चलते ही नारी बदनाम होती है। दफा हो जाओ यहाँ से। फिर दुबारा अपनी गंदी सकल नहीं दिखाना मुझे।
(रजत जोर से “डैडी” चिल्लाता है और अपने पिता के पास आकर बोलता है।)
रजत:- डैड!
किशोर वर्मा:- क्या हुआ बेटा, थप्पड़ ज्यादा जोर से लग गया क्या??
रजत:- आपने मेरे साथ धोखा किया है डैड।
किशोर वर्मा:- मैंने तुम्हारे साथ धोखा नहीं किया। तुम्हें तो तुम्हारे कर्मों का फल मिला है बेटा। तुमने जैसा किया तुम्हें वैसा ही फल मिला।
रजत:-आपने मेरे साथ ठीक नहीं किया। मैं आपकी सच्चाई माँ के साथ-साथ पुरी दुनिया को बता दूँगा। मैं बेनकाब कर दूँगा आपको।
(यह बोलकर रजत वहाँ से जाने लगता है। किशोर वर्मा उसको बोलते है।)
किशोर वर्मा:- अरे बेटा सुनो तो।
(लेकिन रजत अपने पिता की बात नहीं सुनता है और वहाँ से चला जाता है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 10
(यह सीन है रजत के घर का, रजत “माँ-माँ” चिल्लाते हूए अपने माँ के पास पहूँचता है और अपने माँ से बोलता है।)
रजत(उदास भाव से):- माँ…
शांति देवी:- बोल बेटा!!
रजत:- आपको एक बात बतानी है।
शांति देवी:- क्या??
रजत:- वो पड़ोस वाली शीला आंटी है न!!
शांति देवी:- हाँ।
रजत:- आपके पति का उनके साथ चक्कर रहा है।
शांति देवी:- क्या??
रजत:- हाँ मम्मी, वह उनके घर पर भी जाते है और चोरी-छुपे गार्डेन में भी मिलते है।
शांति देवी:- तुम्हें कैसे पता?? किसने बताया तुम्हें ये सब??
रजत:- मैंने कई दफा उनको शीला आंटी के घर जाते और गार्डेन में मिलते हूए देखा है। (फिर अपना फोन निकालते हूए) ये देखिये मैंने उनका विडियो भी किया है।
(और रजत एक विडियो लगा कर अपने माँ को देता है। उसकी माँ विडियो देखती है तो उसमें उसके पिता नहीं रजत और उसके दोस्त अरूण और संदीप का होता है। विडियो में तिनों सीगरेट पी रहे होते है और बात कर रहे होते है। रजत बोल रहा होता है।)
रजत:- मैं दुनिया का पहला ऐसा बेटा हूँ जो अपना काम निकलवाने के लिए अपने बाप को ही ब्लैकमेल कर रहा है।
(यह विडियो देख कर उसकी माँ का गुस्सा से आँख लाल हो जाता है। आवाज सुन कर रजत को हैरानी होती है और वह बोलता है।)
रजत:- अरे यह क्या हो गया? यह विडियो कहाँ से आ गया इस फोन में? रुको माँ!!
(यह बोलकर रजत अपने माँ के हाथ से फोन लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है। तभी उसकी माँ फोन साइड में रख कर जोर से उसके बालों को पकड़ लेती है और दोनों गालों में जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगती है। फिर कुछ देर बाद बगल में रखा हुआ एक डंडा उठा लेती है और उससे मारने लगती है। और मारते-मारते बोलती है।)
शांति देवी:- तो तू ये सब करने जाता है कॉलेज में। मैंने तुम्हें इतना प्यार दिया और तुमने ये शीला दिया मेरे प्यार का। और तो और अपनी गलती छुपाने के लिए अपने देवता समान पिता पर क्लेम लगाया।
रजत(मार खाते हूए ही अपनी माँ से बोलता है):- मुझे छोड़ दो माँ। मुझसे गलती हो गयी माँ। आज के बाद से मैं ये सब नहीं करूँगा माँ। मुझे माफ कर दो माँ। माँ, मुझे चोट लग रहा है माँ। गलती हो गयी माँ। मुझे छोड़ दो माँ!!
(लेकिन शांति देवी उसकी एक न सुनती है। वह रजत को जी भर मारती है।)
बेटा नम्बरी, बाप दस नम्बरी,, सीन:- 11
(यह सीन है एक हॉस्पिटल का, जहाँ एक कमरे में रजत एक बेड पर लेटा हुआ है और दर्द से कराह रहा है। उसके सर, हाथ, पैर में पट्टी लगा होता है। तभी उसके पिताजी वहाँ आते है, पास रखे एक कुरसी पर बैठते है और बोलते है।)
किशोर वर्मा:- अब कैसी तबीयत है बेटा??
रजत:- खुद ही तबीयत बिगाड़ कर अब तबीयत पुछने आये हो। मैंने आज-तक तुम जैसा कसाई बाप नहीं देखा। अब मैं अब ईश्वर से यही दुआ करूँगा कि भगवान किसी को भी तुम जैसा बाप न दे।
किशोर वर्मा:- क्या करूँ बेटा, मजबुरी थी। अगर ऐसा नहीं करता तो आज तुम्हारी जगह मैं लेटा होता। सॉरी बेटा!!
रजत:- कब और कैसे किया ये सब इतनी जल्दी??
किशोर वर्मा:- तुम्हें क्या लगा था, यह खेल सिर्फ तुम्हें ही खेलने आता है। शायद तुम भूल गए थे कि मैं तुम्हारा बाप हूँ। बाप आखिर बाप होता है। तुम जो खेल खेल रहे हो मैं उसमें चैंपियन रह चुका हूँ। पिछले चौदह दिन से मैं तुम्हारा पिछा कर रहा था। तुम पर नज़र रख रहा था। तुम्हारे हर कांड का सबूत इकट्ठा कर रहा था। जब मैं अपने काम में सफल हो गया तो उस दिन रात को तुम्हें खूब शराब पिला कर सुला दिया। तुम्हारे सोने के बाद मैं तुम्हारे कमरे में आया। तुम्हारे फोन से तुम्हारा मेमोरी कार्ड निकाल दिया और अपना लगा दिया। और इस तरह मेरे खिलाफ जो तुम्हारे पास सबूत थे वो हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया और तुम फँस गए।
रजत:- तुम तो बहुत शातिर निकले मेरे बाप। मुझे यहाँ लेटा कर रंगरलियाँ मना रहे हो!!
किशोर वर्मा:- बनना पड़ता है बेटा। और तुमने क्या कहा था बेटा, बाप नम्बरी तो बेटा दस नम्बरी। नहीं बेटा हर बार ऐसा नहीं होता। कभी-कभी “बेटा नम्बरी बाप दस नम्बरी” भी होता है। ठीक है तुम आराम करो। मैं चलता हूँ। शीला जी मेरा इंतजार कर रही होंगी।।
(और यह बोलकर किशोर वर्मा वहाँ से चले जाते है।)
…………………….The End………………………….

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